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पूरी प्रकति में प्यार निहित है ,
क्षितिज पर धरती और आसमान का मिलना, ये प्यार ही तो है।
उषा के आने पर कमल का खिलना यह प्यार ही तो है ।
वृक्षों का छूम छूम कर वर्षा का स्वागत करना ये प्यार ही तो है।
नदियों का समुद्र से मिलना यह प्यार ही तो है ।
रात के अँधेरे में तारो का झिलमिलाना यह प्यार ही तो है ।
पूरी प्रकति प्यार से सरोबार है, क्यों न हम इस प्रकति से थोड़ा सा प्यार उधार ले लॆ,
और अपनी जिंदगी सवार ले॥
4 Comments
superiorafzal
हम फ़क़ीरों से बे-अदाई क्या ,
आन बैठे जो तुम ने प्यार किया ,
-मीर तक़ी मीर
बहुत खूब
Ravindra Kumar Karnani
“हम इस प्रकति से थोड़ा सा प्यार उधार ले लॆ, और अपनी जिंदगी सवार ले॥”
Waah!
Buddhu
Lovely and true thought 👌👌
malajoshisharma
Beautifully written .